प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राव अमरीन के नेतृत्व में हुआ योग समारोह….सैकड़ों युवक-युवतियों ने सामूहिक अभ्यास से दिया स्वास्थ्य और सामाजिक सौहार्द का संदेश….. ग्राम सलेमपुर के मुस्लिम क्षेत्र में किया योग….

राव अमरीन, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, भाजपा महिला मोर्चा, के नेतृत्व में ऐतिहासिक योग समारोह,,
सैकड़ों युवक-युवतियों ने सामूहिक अभ्यास से दिया स्वास्थ्य और सामाजिक सौहार्द का संदेश,योग की नई धारा: मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र सलेमपुर महदूद में उमड़ा युवा उत्साह।

हरिद्वार, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की पहली किरण के साथ ही हरिद्वार के मुस्लिम बहुल ग्राम सलेमपुर महदूद में ऐसा नज़ारा बना, जिसने पूरे क्षेत्र को नई ऊर्जा से भर दिया। खुली हवा और शमी के घने पेड़ों की छांव तले आयोजित इस सामूहिक योग कार्यक्रम का नेतृत्व राव अमरीन, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य, भाजपा महिला मोर्चा, उत्तराखण्ड ने किया। उनका एक आह्वान सुनते-ही-सुनते सैकड़ों मुस्लिम युवक-युवतियाँ, छात्राएँ, बुज़ुर्ग महिलाएँ और स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता योग चटाइयों के साथ मैदान में जुट गए — मानो वर्षों से इसी पल का इंतज़ार हो।

आयोजन की तैयारियाँ और उद्देश्य
सुबह की नमी और हल्की हवा के बीच जब योग सत्र की शुरुआत हुई, तो हर दिशा में अनुशासन और उल्लास की एक लहर-सी दौड़ गई। मंच सादगीपूर्ण था — योग दिवस का प्रतीकचिह्न, राष्ट्रीय ध्वज और “योग सबका, योग सबके लिए” का संदेश। राव अमरीन ने उद्घाटन भाषण में कहा,
“योग केवल शरीर को स्वस्थ करने का माध्यम नहीं, यह मन और समाज को भी संतुलित करने का विज्ञान है। मुस्लिम समाज के युवाओं की भागीदारी यह बताती है कि भारत की साझा विरासत अब समाज के हर कोने में अपनी जगह बना रही है।”

अभ्यास की झलकियाँ
छह बजे सुबह जैसे-ही अनुलोम-विलोम की ध्वनि गूँजी, पूरा मैदान संयमित श्वास-प्रश्वास की लय में डूब गया। योगाचार्य आदिल हुसैन ने सहज ताड़ासन से अभ्यास की शुरुआत कराई और फिर क्रमशः सूर्य नमस्कार, कपालभाति, भ्रामरी और ध्यान जैसे अभ्यास कराए। सूर्य की किरणें युवाओं के चेहरे पर चमक रहीं थीं और हर आसन के साथ उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता जा रहा था।

युवतियों की अग्रणी भूमिका
सबसे उल्लेखनीय रहा युवतियों की सक्रिय और आत्मविश्वासपूर्ण भागीदारी। सैकड़ों की संख्या में मुस्लिम युवतियाँ, अधिकतर हिजाब या दुपट्टा पहने हुए, पूरे आत्मसमर्पण भाव से योगासन करती नज़र आईं। कॉलेज छात्रा आयशा खान ने कहा,
“पहले लगता था कि योग किसी विशेष वर्ग का अभ्यास है, लेकिन आज खुद करके महसूस हुआ कि यह तो सबके लिए है।”
नुसरत फातिमा और अन्य छात्राओं ने कहा कि वे अब कॉलेज में “योग फ्रेंडली कैंपस” के लिए अभियान चलाएंगी।

धार्मिक-सामाजिक स्वीकृति
कार्यक्रम में एक धार्मिक मौलाना ने भी भाग लिया कहा,
“अगर कोई पद्धति शरीर और मन को स्वस्थ बनाती है और उसमें कोई धार्मिक विरोध नहीं है, तो उसे अपनाना अल्लाह की नेमत की कद्र है।”
योग के प्रति इस स्वीकार्यता ने वहां मौजूद हर वर्ग को एक साझा मंच पर खड़ा कर दिया — और यही था इस आयोजन की सबसे बड़ी उपलब्धि।

सामाजिक सौहार्द की सकारात्मक हवा
इस आयोजन ने केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता नहीं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और समरसता का संदेश भी दिया। मंच पर हिंदू, मुस्लिम और सिख समुदायों के युवाओं को साथ योग करते देखना एक ऐसा दृश्य था, जिसने हर दिल को छू लिया। राव अमरीन ने इस अवसर पर “स्वस्थ शरीर–सशक्त समाज” अभियान की घोषणा की, जिसके तहत आने वाले महीनों में मदरसों, मस्जिद परिसरों और पंचायत स्थलों पर योग शिविर आयोजित किए जाएंगे। उनका लक्ष्य है — पाँच हज़ार मुस्लिम युवक-युवतियों को योग से जोड़ना।

स्वास्थ्य से आत्मनिर्भरता की ओर
योग प्रशिक्षक डॉ. नूर जहां ने बताया कि नियमित योग से बीपी, मधुमेह और मानसिक तनाव जैसी बीमारियाँ काफी हद तक नियंत्रित होती हैं। उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा,
“योग केवल बीमारी से दूर नहीं करता, बल्कि आत्मबल और सोच की स्पष्टता भी लाता है — यही गुण किसी भी युवा को आत्मनिर्भर बनाते हैं।”

डिजिटल और सामाजिक पहल
इस आयोजन की खास बात यह भी रही कि सोशल मीडिया पर इसे जबरदस्त सराहना मिली। #SalempurYogaHarmony हैशटैग के साथ युवाओं ने तस्वीरें और वीडियो साझा किए, जो कुछ ही घंटों में वायरल हो गए। साथ ही, “एक पेड़, एक दोस्त” अभियान की भी शुरुआत की गई, जिसमें हर योग सत्र के बाद एक पौधा लगाने का संकल्प लिया गया।

भविष्य का रोडमैप
कार्यक्रम के समापन पर राव अमरीन ने सभी प्रतिभागियों को योग नियमावली की पुस्तिकाएँ वितरित कीं और कहा,
“आज हमने शुरुआत की है, कल इसे आदत बनाना है। जब सलेमपुर बदल सकता है, तो पूरा उत्तराखण्ड भी बदल सकता है।”
इसके साथ ही “108 सूर्य नमस्कार चैलेंज” की भी घोषणा की गई, जिसमें युवाओं को लगातार 21 दिनों तक भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया।

, सलेमपुर महदूद का यह योग आयोजन केवल स्वास्थ्य अभ्यास नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक बन गया है। राव अमरीन की यह पहल एक नई चेतना की मिसाल है, जो धर्म, जाति और भाषा की सीमाओं से ऊपर उठकर “एक स्वस्थ, संगठित और समरस भारत” की ओर बढ़ रही है।

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